जल संसाधनों के अधिकतम दोहन की नीति पर काम करते हुए सरकार ने निजी तथा सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को 12114 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं आवंटित की हैं। इनसे उत्पादन शुरू होने के बाद उत्तराखंड वास्तव में ऊर्जा प्रदेश बन पाएगा। विभागीय आंकड़ों के अनुसार एनटीपीसी को उत्तरकाशी, चमोली तथा पिथौरागढ़ जिलों में 1551 मेगावाट क्षमता की कुल चार परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। टीएचडीसी को 2539 मेगावाट क्षमता की नौ, एनएचपीसी को 2310 मेगावाट की आठ, सतलुज जल विद्युत निगम को 368 मेगावाट की तीन जल विद्युत परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। उत्तराखंड जल विद्युत निगम के पास 2956 मेगावाट की 37 परियोजनाएं हैं। निजी डेवलपर्स को 2026 मेगावाट क्षमता की 45 परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। इसके साथ ही 84 लघु एवं सूक्ष्म परियोजनाएं उरेडा, जल विद्युत निगम और यूआईपीसी को आवंटित की गई हैं। इनकी कुल क्षमता 543.5 मेगावाट है। इस तरह कुल 12114 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं अब तक आवंटित की जा चुकी हैं। जब ये परियोजनाएं धरातल पर उतरेंगी तो उत्तराखंड वास्तव में एक ऊर्जा प्रदेश कहलाने की स्थिति में होगा। इतना ही नहीं। 5702 मेगावाट क्षमता की 38 परियोजनाएं आवंटन के लिए तैयार हैं। ये सभी सरकारी नियंत्रण वाले निगमों को आवंटित की जानी हैं। जबकि 2180 मेगावाट क्षमता की 24 परियोजनाएं अभी आवंटन की प्रतीक्षा में हैं। ऊर्जा विभाग से इन परियोजनाओं को जल्दी आवंटित करने के निर्देश हो चुके हैं। इस तरह 7882 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं भी जल्दी ही आवंटित हो जाएंगी और इन पर काम शुरू हो जाएगा। राज्य अब तक तीन हजार मेगावाट क्षमता का विकास कर चुका है।
Source: www.uttaraportal.com
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