हिमाचल तथा उत्तराखंड के बीच वर्षो से उलझी दो परियोजनाओं पर लगभग सहमति बन गई है। इससे विवाद में फंसी करीब 720 मेगावाट क्षमता की दो परियोजनाओं पर काम शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। करीब छह दशक पहले टांस नदी पर 600 मेगावाट की किसाऊ परियोजना की परिकल्पना की गई थी। किसाऊ बांध बनाने की दिशा में एक कदम कभी आगे नहीं बढ़ाया जा सका। उत्तराखंड बनने के बाद भी इस परियोजना को लेकर हिमाचल से कई बार बात हुई पर राज्य को कभी जवाब नहीं मिला। पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश के प्रमुख सचिव (ऊर्जा) इस परियोजना पर बातचीत के लिए उत्तराखंड पहुंचे। बातचीत हुई तो दोनों राज्य इस 600 मेगावाट क्षमता की परियोजना पर मिलकर काम आगे बढ़ाने पर सहमत हो गए। इस परियोजना से मिलने वाली 12 प्रतिशत फ्री पावर का दोनों राज्यों के बीच आधा-आधा बंटवारा होगा। इस परियोजना से जिन राज्यों को पानी मिलेगा, निर्माण की लागत में उनका हिस्सा तय किया जाएगा। साथ ही परियोजना को टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलेपमेंट कार्पोरेशन) को सौंपने पर भी सहमति हो गई है। 12 प्रतिशत फ्री पावर के अतिरिक्त बाकी 88 प्रतिशत पावर भी टीएचडीसी हिमाचल तथा उत्तराखंड को ही बेचेगी। इसके लिए रेट केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग तय करेगा।
Source: www.uttaraportal.com
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