Tuesday, March 15, 2011

Bugyals In Uttarakhand

A Bugyal is a high altitude alpine grass lands, or meadows, in the state of Uttarakhand in India. They are colloquially referred as `nature`s own gardens`. They can be smooth or sloped, and are covered with green grass and seasonal flowers. These provide an outstanding grazing ground and pastures for tribal herdsmen.

At elevations varying from 3300 meters to 4000 meters, these alpine meadows remain snow covered in winter. In the summer, the meadows throw forth a multitude of beautiful flowers and grass. The basins of Nanda Devi, Kedarnath, Gangotri and Bandarpunch have extensive bugyals. Bugyals constitute a fragile ecosystem, and hence need to be cautiously managed. The names of some of the major Bugyals are the Auli, Gorso, Kwanri Bugyal, Bedni Bugyal, Chaudas Bugyal, Jiolingkong, Dayara Bugyal, Tali Bugyals and many more.

A Bugyal is a high altitude alpine grass lands, or meadows, in Uttarakhand, India. They are locally referred as 'nature’s own gardens'. They can be flat or sloped, and are carpeted with green grass and seasonal flowers. These provide an excellent grazing ground and pastures for tribal herdsmen. At elevations ranging between 3300 meters and 4000 meters, these alpine meadows remain snow covered in winter. In the summer, the meadows burst into a multitude of beautiful flowers and grass. The basins of Nanda Devi, Kedarnath, Gangotri and Bandarpunch have extensive bugyals. Bugyals have very fragile ecosystems, and hence need to be carefully managed.

Bedni Bugyal. On the way to Roopkund.

Nandadevi National Park and Biosphere Reserve
Valley of Flowers Biosphere Reserve. Elevation 3354 meters.
Panwali & Kush-Kalyani. Between Gangotri and Kedarnath. Elevation 2745–3970 meters.

Dayara. Near Uttarkashi.
Munsiyari Bugyal. In Pithoragarh district.
hhati Bugyal. In Chamoli District.
Rikhade Bugyal. In Bhatti Village - Chamoli District.
Jiolingkong
Chaudas Bugyal
Dayara Bugyal
Panwali Bugyals. Elevation 4060 meters.
Tali Bugyals
Ali Bugyal
Chhiplakot Bugyal
Byans Bugyal
Darma Bugyal

Wikipedia.org

2 comments:

Dayarabugyaal said...

दयारा बुग्याल
उत्तराखंड के हिमालय में कई छोटे-बड़े बुग्याल मौजूद हैं। औली, गोरसों बुग्याल, बेदनी बुग्याल, दयारा बुग्याल, पंवालीकाण्ठा, चोपता, दुगलबिट्टा सहित कई बुग्याल हैं जो बरबस ही सैलानियों को अपनी और आकर्षित करते हैं। लेकिन इन सबसे अलग बेपनाह हुस्न और अभिभूत कर देने वाला सौन्दर्य को समेटे सीमांत जनपद उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लाक में स्थित रैथल गांव में दयारा बुग्याल को एशिया का सबसे खूबसूरत बुग्याल कह सकते हैं
ये होते हैं बुग्याल!
पहाड़ों में जहाँ पेड़ समाप्त होने लगतें हैं यानी की टिम्बर रेखा वहां से हरे भरे मखमली घास के मैदान शुरू हो जाते हैं। आपको यहीं पर स्नो और ट्रीलाईन का मिलन भी दिखाई देगा। उत्तराखंड में घास के इन मैदानों को बुग्याल कहा जाता है। ये बुग्याल बरसों से स्थानीय लोगों के लिए चारागाह के रूप में उपयोग में आतें हैं। जिनकी घास बेहद पौष्टिक होती हैं। इन मखमली घासों में जब बर्फ की सफ़ेद चादर बिछती है तो ये किसी जन्नत से कम नजर नहीं आती है। इन बुग्यालों में आपको नाना प्रकार के फूल और वनस्पति लकदक दिखाई देंगी। हर मौसम में बुग्यालों का रंग बदलता रहता है। बुग्यालों से हिमालय का नजारा ऐसे दिखाई देता है जैसे किसी कलाकार ने बुग्याल, घने जंगलों और हिमालय के नयाभिराम शिखरों को किसी कैन्वास पर उतारा है। बुग्यालों में कई बहुमूल्य औषधि युक्त जडी-बू्टियाँ भी पाई जाती हैं। इसके साथ-साथ हिमालयी भेड़, हिरण, मोनाल, कस्तूरी मृग जैसे जानवर भी देखे जा सकते हैं।

ऐसे पहुंचा जा सकता है दयारा बुग्याल!
उत्तरकाशी से गंगोत्री वाले रास्ते में 30 KM भटवारी से रैथल गांव की ओर रास्ता गया है रैथल गांव से बुग्याल तक पहुँचने के लिए पैदल रास्ता है सुंदर रास्ते से होते हुए बांज, बुरांस, कैल के घने जंगलों, नदी, पशु, पक्षियों के कलरव ध्वनियों के बीच 8 किमी पैदल चलने के उपरान्त 13 हजार फुट की ऊंचाई पर मखमली बुग्याल के दीदार होते हैं। दायरा से ही सटा हुआ है बकरी बुग्याल। जो 5 किमी से भी अधिक क्षेत्रफल में विस्तारित और फैला हुआ है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना किसी रोमांच से कम नहीं है। ये दोनों दृश्य बेहद ही अद्भभुत और अलोकिक होतें हैं। साथ ही यहाँ से दिखाई देने वाले श्री कंठ और द्रौपदी का डांडा सहित अन्य पर्वत श्रीखलाओं का दृश्य लाजबाब होता है। वहीं हरी मखमली घास, ओंस की बुँदे, चारों और से हिमालय की हिमाच्छादित नयनाविराम चोटियाँ, धूप के साथ बादलों की लुकाछिपी आपको यहाँ किसी जन्नत का अहसास कराती है। दिसम्बर से मार्च तक यहां बिछी बर्फ की सफेद चादर स्कीइंग के लिए किसी ऐशगाह से कम नहीं है। इसे स्कीइंग रिसोर्ट के रूप में विकसित किया जा सकता है।

हिमालय को बेहद करीब से जानने वाले ट्रेकर्स कहतें है की दयारा बुग्याल की सुदंरता के सामने हर किसी का हुस्न फीका है। बरसात के समय हरी भरी घास की हरियाली मन को मोहित करती है तो बर्फ के समय पूरा बुग्याल सफ़ेद चादर से चमक उठता है। जबकि यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखना वाकई अद्भभुत है। वास्तव में देखा जाय तो दयारा बुग्याल को स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि पहाड़ों से प्यार करने वाले, देश से लेकर विदेशी भी दयारा की सुन्दरता के कायल है। आली की नैसर्गिक सुन्दरता आपको हिमालय के बहुत करीब ले जाती है। म दायरा बुग्याल का अभिभूत कर देने वाला सौन्दर्य सदा से ही मंत्रमुग्ध करता है। हरे घास का ये मैदान आपको आपके कंप्यूटर का स्क्रीन का आभास दिलाता है। हिमालय की गोद में बसे मखमली घास और फूलों के इस खजाने पर्यटक दयारा बुग्याल में बर्फ की सफ़ेद चादर के दीदार कर अपना जीवन धन्य कर सकता है
Credit : #mantrikichani
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Pooja said...

बहुत अच्छी जानकारी दी है। दायरा बुग्याल वाकई में अच्छी जगह है।