Friday, September 19, 2008

19 सितम्बर – भूकम्प के हिसाब से प्रदेश जोन के चार व पांच में

उत्तरकाशी व चमोली के विनाशकारी भूकंप झेल चुके उत्तराखंड के 10 शहरों की भूंकप दशा कुंडली बनाई जा रही है। इन शहरों में भूकंप की संवेदनशीलता के हिसाब से किए जा रहे रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग के अंतिम परिणाम दिसंबर तक आ जाएंगे। वैज्ञानिकों ने भूकंप प्रभाव संवेदनशीलता के लिहाज से उत्तराखंड को जोन चार व पांच में रखा है। प्रदेश का ऊपरी भाग अधिक व नीचे का भाग अपेक्षाकृत कम संवेदनशील माना गया है। शहरों के भवनों की वस्तुस्थिति सामने आ जाने के बाद इससे सरकार को आपदा प्रबंधन की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। मसूरी व जोशीमठ शहर में फील्ड वर्क खत्म हो चुका हैं। मसूरी के संकलित आंकड़ों का आरंभिक विश्लेषण भी हो चुका है। इससे पता चला कि मसूरी में 623 भवन भूकंप प्रभाव की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील हैं। जोशीमठ के आंकड़ों के विश्लेषण में प्रगति है। पिथौरागढ़, नैनीताल, उत्तरकाशी, बागेश्वर व रुद्रप्रयाग के फील्ड वर्क भी समाप्त हो चुका है। टिहरी, पौड़ी, श्रीनगर में फील्ड वर्क अब बरसात के बाद तेज होगा। उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के वरिष्ठ अधिशासी गिरीशचंद्र जोशी ने बताया कि शहरी भूकंप घातकता न्यूनीकरण की दृष्टि से राजधानी देहरादून का भी नमूना सर्वेक्षण हो चुका है। इस कलस्टर सर्वे में जान-माल की क्षति के अनुमान लगाया गया है। सर्वेक्षण के निष्कर्ष समझा जाएगा कि क्या पूर्व प्रबंध होने चाहिए और कम-से-कम नुकसान के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।
दैनिक जागरण - 19/09/2008 [प्रादेशिक समाचार]

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