25 सितम्बर – राज्य के प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में मिड-डे मील की गुणवत्ता पर पैनी नजर रखी जाएगी। हर माह एक जिले का चयन कर स्कूलों का मुआयना होगा। इसके लिए शासन के निर्देश पर परियोजना व महकमे के अफसरों की टीम गठित की गई है। इस माह टिहरी जिले का चयन किया गया है। राज्य में मिड-डे मील का दायरा बढ़ गया है पर इसकी गुणवत्ता पर नजर रखने की व्यवस्था नहीं है। अब इस मामले में लापरवाही हेडमास्टरों व शिक्षकों को भारी पड़ेगा। पहले चरण में जिला व खंड शिक्षा अधिकारियों को रैंडम सैंपलिंग के निर्देश दिए जा चुके हैं। केंद्र ने भी भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। शासन स्तर पर मंथन के बाद यह तय किया गया है कि मिड-डे मील की गुणवत्ता और उसके नियमित मुआयने का व्यवस्था केंद्रीय स्तर पर भी हो। इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान राज्य परियोजना व महकमे के पांच विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया है। यह टीम प्रति माह एक जिले का चयन कर वहां मिड-डे मील की गुणवत्ता की असलियत जांचेगी। टीम में राज्य परियोजना निदेशक, मिड-डे मील कार्यक्रम के संयुक्त निदेशक, वित्ता नियंत्रक, शिक्षा विशेषज्ञ, प्रशिक्षण विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। यह टीम जिलों में रैंडम सैंपलिंग के लिए स्कूलों में छापे मारेगी। प्रत्येक जिले में एक-एक ब्लाक संसाधन केंद्र व न्याय पंचायत संसाधन केंद्र के सभी स्कूलों में गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी। बेसिक शिक्षा अपर सचिव व राज्य परियोजना निदेशक आरके सुधांशु ने कहा कि इस माह टिहरी जिले का चयन किया गया है। टीम जिले का व्यापक मुआयना करेगी। भोजन की गुणवत्ता की जांच का जिम्मा महकमे से इतर संस्था को भी सौंपने पर विचार किया जा रहा है। राज्य के तकरीबन 5017 सरकारी और सहायताप्राप्त अशासकीय माध्यमिक स्कूलों में अध्ययनरत अपर प्राइमरी के सभी 12 लाख छात्र-छात्राओं को मिड-डे मील के दायरे में लाया जा चुका है।
दैनिक जागरण - 25/09/2008 [प्रादेशिक समाचार]
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